आदिवासी किसानों को स्थायी सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए बिरसा मुंडा कृषि क्रांति योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत, किसानों को पुराने कुओं की मरम्मत के लिए एक लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है।
राज्य में अनुसूचित जनजातियाँ
किसानों को स्थायी सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए बिरसा मुंडा कृषि क्रांति योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत, किसानों को पुराने कुओं की मरम्मत के लिए 1 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है। सरकार सिंचाई व्यवस्था को मज़बूत बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि किसानों को खेती के लिए ज़रूरी पानी की सुविधा मिल सके।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य 0.40 से 6.00 हेक्टेयर तक भूमि जोत वाले किसानों को स्थायी सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना है, ताकि उनका कृषि उत्पादन बढ़े और उनकी आर्थिक आय में सुधार हो।
लाभार्थी के लिए आवश्यक पात्रता
लाभार्थी अनुसूचित जनजाति वर्ग का किसान होना चाहिए।
लाभार्थी के पास बैंक खाता होना चाहिए तथा बैंक खाता आधार कार्ड से जुड़ा होना चाहिए।
राज्य सरकार ने कृषि विभाग की सभी योजनाओं के लिए किसान पहचान पत्र अनिवार्य कर दिया है। इसलिए, महाडीबीटी योजना के तहत आवेदन करने के लिए किसान पहचान पत्र आवश्यक है।
राज्य सरकार ने महाडीबीटी योजनाओं के लिए पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर क्रियान्वयन किया है।
सभी जानकारी किसान पहचान संख्या के माध्यम से उपलब्ध है।
इसलिए 72, 8ए और आधार कार्ड की कोई जरूरत नहीं है।
किसान के पास सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र होना चाहिए।
पहली प्राथमिकता गरीबी रेखा से नीचे (बी.पी.) रहने वालों को दी जाती है।
इस योजना के तहत लाभार्थी के पास न्यूनतम 0.40 हेक्टेयर और अधिकतम 6 हेक्टेयर कृषि भूमि होनी चाहिए।
जिन किसानों को स्वर्गीय कर्मवीर दादासाहेब गायकवाड़ सशक्तिकरण एवं स्वाभिमान योजना के तहत भूमि आवंटित की गई है, उन्हें इस योजना से अधिमान्य लाभ मिलेगा।
योजना नियम
लाभार्थी के 7/12 विवरण में कुएं की प्रविष्टि होना अनिवार्य है।
जिन किसानों को पहले नए कुएं के लिए सब्सिडी मिल चुकी है, वे पुराने कुएं की मरम्मत के लिए 20 साल बाद ही सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।
कार्य शुरू करने से पहले, लाभार्थी को कुएं की एक तस्वीर लेनी होगी। इस तस्वीर में लाभार्थी और कुएं के पास एक लैंडमार्क दिखाई देना चाहिए।
लाभार्थी को 100 या 500 रुपये के स्टाम्प पेपर पर बांड तैयार करना होगा।
समूह विकास अधिकारी से अनुशंसा पत्र आवश्यक है।
कुएं में बोरिंग के लिए भूजल सर्वेक्षण विभाग से व्यवहार्यता रिपोर्ट की आवश्यकता होती है।
परियोजना अधिकारी को जनजातीय विकास परियोजना कार्यालय से प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहिए कि केन्द्र सरकार के एससीए या संविधान के अनुच्छेद 275 (ए) का लाभ नहीं उठाया गया है।
प्रक्रिया
कुएं की मरम्मत के लिए पहले बजट तैयार करना होगा और कृषि विकास अधिकारियों से तकनीकी स्वीकृति लेनी होगी।
पंचायत समिति का कृषि अधिकारी मरम्मत कार्य का माप लेता है और उसे माप पुस्तिका में दर्ज करता है।
अनुदान प्राप्त करने के लिए कुएं का जीपीएस स्थान, पहले और बाद की तस्वीरें, तथा मूल्यांकन प्रस्तुत करना आवश्यक है।
यदि कार्य की लागत स्वीकृत बजट से अधिक हो जाती है तो किसान को अतिरिक्त लागत स्वयं वहन करनी पड़ती है।
समय पर काम पूरा करने के लिए किसान से बांड लिया जाता है। पंचायत समिति और जिला परिषद के कृषि अधिकारी समय-समय पर काम की समीक्षा करते हैं।
आवेदन कैसे करें?
इस योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान
https://mahadbt.maharashtra.gov.in/farmer/log in/login पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। साथ ही, अधिक जानकारी के लिए किसान अपने नजदीकी पंचायत समिति या जिला परिषद के कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
टिप्पणी पोस्ट करा