Ladki Bahin Yojana आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए सिरदर्द बनी लड़की बहिन योजना; विस्तार से पढ़ें

 



विधानसभा चुनाव से पहले महायुति सरकार द्वारा शुरू की गई लड़की बहन योजना जहाँ सरकार के लिए सिरदर्द बन गई है, वहीं अब यह आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए भी परेशानी का सबब बनती जा रही है। पहले जो सरकार कहती थी कि सभी फॉर्म भरें, अब कह रही है कि दोबारा जाँच करो। इससे गाँव में रहना मुश्किल हो गया है, और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने विरोध शुरू कर दिया है, उनका कहना है कि हम सर्वे का काम नहीं करेंगे।पिछले कुछ दिनों से महायुति सरकार की लड़की बहन योजना विवादों में घिरी हुई है। बताया गया है कि विभिन्न कारणों से 26 लाख 34 हज़ार महिलाओं को लड़की बहन योजना के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है। इस वजह से राजनीतिक हलकों में सरकार की आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है। इस योजना के कारण सरकारी खजाने पर पड़ने वाले दबाव, महिलाओं की बजाय पुरुषों द्वारा योजना का लाभ उठाए जाने और अब तक इस योजना पर खर्च की गई सरकारी राशि के कारण यह योजना चर्चा में है।आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने सर्वेक्षण कार्य करने से किया इनकार

(लड़की बहिन योजना)

सरकार आपको लड़की वाहिनी का फॉर्म तुरंत भरने के लिए कहती है, लेकिन अब दोबारा सर्वे कराने को कह रही है। इससे हमारा गाँव में रहना मुश्किल हो गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने लड़की वाहिनी योजना के दोबारा सर्वे कार्य का विरोध शुरू कर दिया है और कहा है कि हम सर्वे कार्य नहीं करेंगे। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने दोबारा सर्वे कार्य न कराने समेत विभिन्न मांगों को लेकर धरना शुरू कर दिया है।

सरकार ने चुनावों को ध्यान में रखते हुए लड़की बहिन योजना शुरू की थी। शुरुआत में इस योजना के फॉर्म भरने की ज़िम्मेदारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं के साथ-साथ ग्राम सेवक, तलाठी, पर्यवेक्षक और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को सौंपी गई थी। राज्य सरकार के आदेशानुसार, लातूर ज़िले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से लड़की बहिन योजना की महिला लाभार्थियों का पुनः सर्वेक्षण शुरू हो गया है। ग्राम स्तर पर पुनः सर्वेक्षण कार्य करने में दिक्कतें आ रही हैं और काम मुश्किल होता जा रहा है, इसलिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने अब इस कार्य का विरोध शुरू कर दिया हैआंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगें क्या हैं? (लड़की बहिन योजना)

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने आज लातूर जिला परिषद के सामने धरना दिया और मांग की कि पुनः सर्वेक्षण कार्य न किया जाए। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सेवा समाप्ति के बाद मासिक पेंशन दी जाए और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 15,000 रुपये और सहायिकाओं को 8,500 रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाए। महाराष्ट्र राज्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका महासंघ ने लंबित मांगें पूरी न होने पर आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी है।

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